तीन मासुमों की मृत्यु का खुलासा, झोलाछाप डॉक्टर चतराराम आपराधिक मानव वध का दोषी

 

प्रतापगढ़। जिला पुलिस अधीक्षक प्रतापगढ अमित कुमार के निर्देशन में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक ऋषिकेश मीणा तथा धनफुल मीना उप अधीक्षक वृत्त धरियावद के मार्गदर्शन में थानाधिकारी थाना धरियावद पेशावर खान उनि० तथा थानाधिकारी थाना देवगढ मांगीलाल उनि की टीम द्वारा क्षेत्र में ईलाज के नाम पर आमजन के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड करने वाले झोलाछाप डॉक्टर के खिलाफ प्रकरण दर्ज कर डॉक्टर को गिरफ्तार किया गया। बाद में उसे मानव वध का दोषी माना गया।

चिकित्सा विभाग की टीम द्वारा की गई कार्यवाहीः गांव धावडा मगरी में गलत उपचार से हुई तीन बच्चों की मृत्यु के मामले में सीएमएचओं द्वारा प्रेषित रिपोर्ट के आधार स्टेट नोडल ऑफीसर आईडीएसपी (इन्टीग्रेटेड डिसीज सर्विलेंस प्रोग्राम) को तीन बच्चों की मृत्यु के बारे में एक रिपोर्ट की गई। इन बच्चों की मृत्यु 19.11.2023 और 20.11.2023 को हुई। स्टेट नोडल ऑफीसर आईडीएसपी के सुपरविजन में राजस्थान के 02 ईआईएस ऑफीसर (एपीडीयोमियोजिस्ट इन्वेस्टीगेशन ऑफीसर) के नेतृत्व में और एनसीडीसी (नेशनल सेन्टर फॉर डिसीज कन्ट्रोल) नई दिल्ली के द्वारा संयुक्त टीम का गठन किया गया। गठित टीम का लक्ष्य बच्चों की मृत्यु के कारणों की जांच करना, धावडा मगरी गांव में बुखार के होने के कारणों का पता करना उस इलाके में हुई महामारी की पड़ताल करना और अन्य कौन इससे प्रभावित हो सकते है। इन कारणों का पता करने का कार्य इस टीम को दिया गया। इस कमेटी द्वारा भी एक विस्तृत जांच की गई तथा इसी कमेटी द्वारा तीन मृतक बच्चों के परिजनों से बात करके तथा मेडीकल कांउसिलिंग करके वर्बल ऑटोप्सी की गई। इससे मृत्यु के कारणों की जांच पडताल की गई। इस जांच समुह द्वारा आशा/एएनएम / सीएचओ द्वारा इस संदिग्ध मामलें में मलेरिया की सभांवना दर्शायी गयी और जांच के कई पहलुओ में मलेरिया से बुखार होने के तथ्य इस जांच रिपोर्ट में सामने आये। मृतको की एक जीवित बहन काली जिसका उपचार जिला चिकित्सालय प्रतापगढ में उन बच्चों की मृत्यु के बाद किया गया। उसकी बीमारी के डायग्नोसिस और उपचार से और कमेटी के तथ्यों से यह स्पष्ट हुआ कि उन बच्चों में भी तेज बुखार का कारण संभवतया मलेरिया ही था। वर्बल ऑटोप्सी की रिपोर्ट इस कमेटी द्वारा तैयार की गई, उसमें झोलाछाप डॉक्टर द्वारा दिये गये उपचार के तुरंत बाद उन बच्चों की मृत्यु होने जैसे तथ्य सामने आये। इस कमेटी की रिपोर्ट, सीएमएचओ की रिपोर्ट व थाने द्वारा आरंभिक जांच में परिजनों ने झोलाछाप डॉक्टर के नाम के बारे में किसी भी जांच समूह को नहीं बताया।

दिनांक 04.01.2024 को बीएमसीएचओ जगदीप खराडी एंव उनकी मेडिकल टीम द्वारा देवगढ बस स्टेण्ड के पास संचालित एक क्लिनिक पर अचानक रेड डाली गयी। इस दौरान वहा पर एक झोलाछाप डॉक्टर बिना वैध डिग्री व दस्तावेज (लाइसेस) के मरीजों का ईलाज करता हुआ पाया गया। यह डॉक्टर देवगढ में रहकर भोले भाले ग्रामीण लोगो का ईलाज कर रहा था। जिससे डिग्री व लाइसेंस के बारे में पूछने पर उसके द्वारा कोई भी दस्तावेज नही मिले। निरीक्षण के दौरान झोलाछाप डॉक्टर ने अपना नाम चतराराम पिता जीवाराम देवासी निवासी जैनवास दुजाना जिला पाली हाल बस स्टेण्ड देवगढ बताया। टीम द्वारा निरीक्षण के दौरान पाया की क्लिनिक पर झोलाछाप द्वारा मरीजो के ईलाज के दौरान प्रयुक्त की गई औषधि डीएनएस इंजेक्शन आदि एक कॉर्डन में इकट्ठे करके रखे हुए पाये गये तथा कई सारी औषधियो का सग्रहण किया हुआ था। जिसका भी कोई वैध दस्तावेज नही पाया गया। जिस पर चिकित्सा अधिकारी प्रभारी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र देवगढ़ जिला प्रतागपढ द्वारा क्लिनिक संचालक झोलछाप डॉक्टर चतराराम द्वारा मरीजो के ईलाज में प्रयुक्त की गई औषधियों एंव सग्रहित औषधियो की फर्द सुची तथा रिपोर्ट, मौका नक्शा आदि तैयार कर विधिक कार्यवाही हेतु थानाधिकारी थाना देवगढ़ को एक रिपोर्ट पेश की। जिस रिपोर्ट पर थाना देवगढ पर प्रकरण संख्या 06/2024 धारा 419.420 भादस व धारा 15 (2)(3) इंडियन मेडीकल कॉउसिंल एक्ट 1956 में दर्ज कर अनुसंधान प्रांरभ किया गया।

गहन अनुसंधान के दौरान क्रम में डॉक्टर की पुछताछ में यह सामने आया की धावडा मगरी गांव में जिन तीन बच्चों की मृत्यु हुई थी, उनका बच्चों का ईलाज इसी डॉक्टर द्वारा किया गया था। बाद में चिकित्सा विभाग की टीम क्लिनिक से की गयी दवाईयों की जब्ती व मृतक बच्चों के घर से झोलाछाप डॉक्टर चतराराम द्वारा उनके ईलाज में प्रयुक्त की गयी दवाईयों की जब्ती तथा एकत्रित तकनीकी साक्ष्यों, बीसीएमएचओ की रिपोर्ट, एनसीडीसी व ईआईएस ऑफीसर की रिपोर्ट व जीवित बहन काली के उपचार के दस्तावेज के आधार पर यह साबित हुआ की चतराराम ने उन बच्चों राधा, शिवानी और लाला को बिना डायग्नोसिस के गलत उपचार दिया। जिससे उनकी मृत्यु कारित हुई। पुलिस ने पीएमओ से मेडिकल बोर्ड गठित करवाकर विस्तृत अनुशंषा रिपोर्ट पर मेडिकल बोर्ड से कई बिदुओ पर उनका ऑपिनियन प्राप्त किया। सम्पुर्ण अनुसंधान के क्रम में यह साबित हुआ की आरोपी व्यक्ति चतराराम लोगो का छलावे से इलाज करता था और तीन बच्चों के मृत्यु के संदर्भ में अपराधिक मानव वध का दोषी पाया गया। इसके खिलाफ धारा 304 के अपराध प्रमाणित है।

आमजन से अपील- प्रतापगढ पुलिस आमजन से यह अपील करती है कि मेडिकल रजिस्टर्ड प्रैक्टीशनर से ही अपनी बीमारी का ईलाज कराये। राज्य सरकार द्वारा छोटे कस्बों व शहरों में पीएचसी व सीएचसी स्थापित है। यह झोलाछाप डॉक्टर ना केवल आपके स्वास्थ्य के साथ खिलवाड करते है बल्कि इनके गलत उपचार से आपकी जान भी जा सकती है।

गिरफ्तार अभियुक्त चतराराम पिता जीवाराम देवासी निवासी जैनवास दुजाना जिला पाली हाल बस स्टेण्ड देवगढ।