वन अधिकार के लिए जन अधिकार मंच ने रैली निकाल मुख्यमंत्री के नाम सौंपा ज्ञापन

प्रतापगढ़। वन अधिकार मान्यता कानून 2006 और पंचायत उपबंध (अनुसूचित क्षेत्रों पर विस्तार) अधिनियम 1999 नियम 2011 के प्रावधान लागू करने के क्रम में जन अधिकार मंच धरियावद के बेनर तले रैली निकालकर मुख्यमंत्री के नाम जिला कलेक्टर को ज्ञापन दिया। 6 फरवरी 2024 को वन अधिकार मान्यता कानून 2006 नियम 2008 एवं पंचायत उपबंध (अनुसूचित क्षेत्रों पर विस्तार) अधिनियम 1999 नियम 2011 के प्रावधान लागू करने के क्रम में 11 सूत्रीय मांगों को लेकर जिला कलेक्टर प्रतापगढ़ को मुख्यमंत्री राजस्थान सरकार के नाम ज्ञापन दिया गया। ज्ञापन में मुख्य रूप से मांग की गई है कि
1. केंद्र सरकार की मंशा अनुसार पेसा कानून लागू हो
2. प्रत्येक राजस्व गांव में प्रतिवर्ष न्यूनतम चार पेसा गांव सभाएं नियमित रूप से आयोजित हो
3. शांति समितियां का विधिवत गठन किया जाए एवं साधारण प्रकार के अपराध के निराकरण में पुलिस का हस्तक्षेप समाप्त हो
4. वन विभाग द्वारा तेंदूपत्ता एवं अन्य लघु वन उपज के ठेके बंद हो और पेसा गांव सभा इसका निर्णय करें
5. खदान एवं खनिजों की सर्वे और खनन नीलामी में पेसा गांव सभा की राय प्राप्त की जाए
6. केंद्र एवं राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं से लाभान्वित होने वाले संबंधित पात्र व्यक्तियों एवं परिवारों का चयन गांव सभा द्वारा कराया जाए
7. आबकारी विभाग द्वारा गांव सभा की जानकारी एवं सहमति से शराब के ठेके खोल जावे गरीब आदिवासियों पर महुआ की शराब के छापे व केस बनाना बंद हो
8. आदिवासी क्षेत्र में सूदखोर एवं माइक्रोफाइनेंस कंपनियों द्वारा बहुत ही ऊंची ब्याज दर पर कर्ज लेनदेन बंद कर सरकारी उपक्रमों द्वारा कर्ज लेनदेन की व्यवस्था की जावे
9. गैर संवैधानिक तरीके से आदिवासियों की जमीन सरकार भू माफिया पूंजीपतियों ने छीन ली है वह वापस दिलाई जावे
10. वन अधिकार मान्यता कानून के तहत 13 दिसंबर 2005 से पूर्व आदिवासी दावेदारों को वन अधिकार पत्र दिया जावे
11. सामूहिक वन अधिकार के आवेदनों को पास कर सामुदायिक वन अधिकार दिए जावे।
रैली में प्रतापगढ़ जिले से सैकड़ों लोगों ने भाग लिया
रैली नगर परिषद प्रांगण प्रतापगढ़ से गांधी चौराहा, बस सस्टैंड, नीमच नाका, धरियावद नाका होते हुए कलेक्ट्रेट पहुंचकर सभा की गई रैली में आये लोग नारे लगाते हुए “जंगल जमीन किस की है – हमारी है हमारी है” “सामुहिक दावा पास करो पास करो”। “जंगल की रक्षा कौन करेगा हम करेंगे हम करेंगे”। “दिल्ली जयपुर हमारी सरकार हमारे गांव में हम सरकार”। “ना लोकसभा ना विधानसभा सबसे बड़ी गांव सभा।” आदि नारे लगाते हुए कलेक्ट्रेट पर पहुंचे। कलेक्ट्रेट पर जन सभा की गई।
रैली को सम्बोधित करते हुए जन अधिकार मंच के सलाहकार जवाहर सिंह डागुर ने बताया कि व्यक्तिगत वन अधिकार और सामुदायिक परंपरागत वन अधिकार के लिए सामुदायिक वन अधिकारों में समाज के लिए उपयोगी स्कूल भवन, आंगनवाडी भवन, खेल मैदान, सामुदायिक भवन, प्रशिक्षण केन्द्र, पगडंडी, रास्ते देवी देवता के स्थान, बिजली की लाइन आदि का अधिकार पत्र दिया जाना सुनिश्चित माना गया है| आगे कहा कि समानता के आधार पर जंगल की जमीन के बारे में अधिकार पाने के लिए हमेशा आदिवासियों की लंबी लड़ाई रही है एवं अपने अधिकारों की सुरक्षा करना जिसमें हमारी आजीविका को अच्छा बेहतर बनाया जा सके हमारे देश में जनता का राज एवं लोकतंत्र देश है जिसमें सारे समान अधिकार है उस पर मालिकाना हक हमारी परंपरा रही है जिसे हमेशा आदिवासियों की परंपरागत हक और अधिकार हमारे आदिवासियों की पहचान है। संगीता मीणा सरपंच ग्राम पंचायत पाल ने जन सभा को संबोधित करते हुए कहा कि सीता वन्य जीव अभयारण्य क्षेत्र में आजादी के इतने लंबे अरसे के बाद भी लोग रास्ते, विद्युत लाइन, विद्यालय, आंगनवाड़ी जैसी मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं। धनराज मीणा सरपंच ग्राम पंचायत वीरावली ने संबोधित करते हुए कहा कि 5 वीं अनुसूची क्षेत्र में शांति समितियां द्वारा गांव के झगडे़ गांव में ही निपटाने चाहिए, वन अधिकार मान्यता कानून के तहत पात्र आदिवासियों को वन अधिकार पत्र देने की मांग की। जगदीश मीणा सरपंच ग्राम पंचायत लूपड़ी ने संबोधित करते हुए कहा कि आदिवासी समाज को पेसा कानून को धरातल पर लाने के लिए आदीवासी एकता पर बल दिया। रैली को संबोधित करते हुए ग्राम पंचायत मांडकला के उपसरपंच लक्ष्मण मीणा ने कहा कि वन अधिकार मान्यता कानून के तहत वन अधिकार समितियां द्वारा पारित किए गये वन अधिकार दावों को निरस्त किया जा रहा है वन विभाग सैटेलाइट मेप का बहाना लेकर आदिवासियों के साथ छलावा कर रहा है। सामाजिक कार्यकर्ता रमेश चंद्र मीणा ने बताया कि पेसा कानून हमारी संस्कृति रीति रिवाजों परम्पराओं को मान्यता देता है हमारी ग्राम सभाओं को मजबूत करना है ताकि हमारी परंपराएं कायम रह सके। वन अधिकार समिति शकरकंद के अध्यक्ष हरजी मीणा ने रैली को संबोधित करते हुए कहा कि हम जंगल को बचा रहे हैं और उसका सामूहिक अधिकार मांग रहे हैं। धरियावद क्षेत्र से सामाजिक कार्यकर्ता प्रकाश मीणा ने बताया कि हमारे पूर्वजों ने जंगल को बचाया है, वन अधिकार मान्यता कानून के तहत जंगल हमारे कब्जे में लेना है हम नेता चुनकर लोकसभा विधानसभा में भेजते हैं जहां पर आदिवासियों के हितों के विरुद्ध कानून बनते हैं और हमारे नेता मूक बने रहते हैं उनसे जनता को पूछना चाहिए। सामाजिक कार्यकर्ता मांगीलाल मीणा ने बताया कि वन विभाग ने व्यापार मंडल बनाकर जंगल काटा है आदिवासी समाज जंगल को बचा रहा है इसे बचाए रखना है। रैली में दिनेश यादव, हीरालाल सोलंकी, रायालाल मीणा, मंजू कुमारी मीणा, नारायण सालवी आदि ने सम्बोधित किया।