वाल्मीकि आश्रम गणेश घाटी, गौतमेश्वर में आदिवासी भक्तों ने किया भजन कीर्तन

वाॅइस ऑफ प्रतापगढ़ न्यूज़।

अरनोद। आदिवासी का तीर्थ स्थान गौतम बावसी महादेव के गणेश घाटी पर आदिवासी परिवार के अपने कार्यकर्ताओं द्वारा चारभुजा मन्दिर बनाने के लिए 1964-65 में नींव डाली गई थी लेकिन किन्हीं कारणों से कार्य नहीं बन पाया था बाद में बाल्मीकि आश्रम के साथ गणेश मन्दिर गणेश घाटी के नाम से सरस्वती का पूर्वज देवता अस्थाई आश्रम बनाकर साधु पूजा कर रहे इस स्थान पर अभी-अभी पाँच माह पूर्व वन विभाग द्वारा आश्रम के चारों तरफ लोहे के तार लगाकर कार्यकर्ताओं के साथ अभद्रता का व्यवहार कर आश्रम को तोडफोड कर जला दिया गया। चौबीस हवनकुण्ड बनाये गये थे उनको भी तोड़फोड़ कर दिया गया। सभी मंदिरों को जेसीबी मशीन से तोड़फोड़ कर मुर्तियों को फेक दिया गया। आश्रम की ईंटें व सारा सामन टेक्टरों में भरकर वन विभाग ने कब्जे कर लीया, कार्यकर्ताओं ने इसकी रिपोर्ट उपखण्ड अधिकारी कार्यालय व पुलिस थाना अरनोद को दी थी तथा दुसरे दिन उपखण्ड अधिकारी को ज्ञापन व धरना प्रदर्शन किया जिसकी आज दिन तक कोई कार्यवाही नहीं होने पर संगठन ने उक्त भूमि का रेवन्यु रिकार्ड निकलवा कर जिला कलेक्टर प्रतापगढ़ को आवश्यक रिपोट दर्ज करवाई।
रिकार्ड अनुसार यह भूमि बिलानाम व शमशान घाट की है। दि.5-8-2023 को प्रतापगढ़ जिले के आदिवासी मांगुदादा के नेतृत्व में भील प्रदेश मुक्ति मोर्चा के कार्यकर्ताओं ने वन विभाम से उक्त जमीन पर कब्जा हटवाकर पूर्व में लगा बोर्ड आश्रम में लगाकर आश्रम में पूर्व लगी मूर्तियों को पुनः बिठाकर सिन्दूर, पन्ना, नारीयल, अगरबती देवी देवताओं की नेजे झण्डा लगाकर हवन किया गया। आदिवासी भक्त मंडली के कालूलाल मीणा ,पुजिलाल मईड़ा आदिवासी संघ, प्रतापगढ़, केशुराम बुज,अध्यक्ष वाल्मीकी आश्रम ,सानू हाडा प्रदेश संयोजक भील प्रदेश प्रदेश मुक्ति मोर्चा,वरिष्ठ भक्तजन एवं सामाजिक कार्यकर्ता कारुलाल मईड़ा,उदयलाल डिंडोर सरपंच ग्राम पंचायत लालगढ़ एवं भक्तजन उपस्थित रहे।