Voice of Pratapgarh News ✍️महेश कुमार गुप्ता।
जयपुर। शनिवार को लोकसभा चुनाव के आखिरी और सातवें चरण का मतदान समाप्त हो गया है, अब देश को मंगलवार 4 जून का इंतजार है जब देश की 543 सीटों की मतगणना का काम होगा और रिजल्ट सामने आएंगे। कौन जीतेगा, कौन हारेगा यह कहना जल्दबाजी होगा किंतु देश में लोकसभा चुनाव को लेकर जो माहौल से चल रहा है वह सभी राजनीतिक दलों के लिए बहुत बड़ी चुनौती बनकर सामने नजर आ रहा है। क्योंकि पहली बार ऐसा हुआ है की इस लोकसभा चुनाव में कही भी कोई दिलचस्पी दिखाई नही दी, खासकर आम मतदाताओं ने तो वोटिंग करने के बाद भी अपनी जुबान बिलकुल बंद रखकर राजनीतिक दलों की धड़कने तेज कर दी है।
राजनीतिक विश्लेषक और सामाजिक कार्यकर्ता अभिषेक जैन बिट्टू ने कहा की पहले चरण से लेकर सातवें चरण तक लगभग डेढ़ महीनों में कभी ऐसा लगा ही नही की इस बार देश में कोई लोकसभा चुनाव हो भी रहे है या नही हो रहे है, हालाकि सोश्यल मीडिया पर थोड़ी बहुत हलचल देखी गई किंतु वह दलों और उनके समर्थकों तक ही सीमित रही। इन डेढ़ महीनों में देशभर से यह जानकारी तो स्पष्ट तौर पर निकलकर सामने आई और वह यह थी की जनता महंगाई, बेरोजगारी, अत्याचारों से बुरी तरह प्रभावित है, जिसको लेकर जनता बहुत आक्रोश में है और उसने खुद को दो वर्गों में बांट लिया और मौन धारण कर लिया, जिसमें से एक वर्ग था जिसने वोटिंग की और दूसरा वर्ग था जिसने वोटिंग बिलकुल भी नहीं की। चिंता का विषय यह भी है की जिन्होंने वोटिंग नही की वह लगभग 35 प्रतिशत है। जिसमें इस बार नए मतदाता भी जुड़े थे और पिछली बार की तुलना में इस बार वोटिंग प्रतिशत भी बहुत ज्यादा गिर जाने की वजह से भी राजनीतिक दल चिंतित है और आत्ममंथन करने में जुटे है और अपना अपना आंकलन तैयार कर रहे है।
कांटे की टक्कर, बनेगी लगड़ी सरकार जो बेसाखियों पर टिकी होगी
अभिषेक जैन बिट्टू के अनुसार इस बार देश में बैसाखियों पर टिकी लंगड़ी सरकार बनने के आसार ज्यादा नजर आ रहे है, चाहे एनडीए की सरकार बने या इंडिया गठबंधन की सरकार बने दोनो में से जो भी सरकार बनाएगा वह लगडी सरकार ही बनाएगा। एनडीए और भाजपा भले ही नरेंद्र मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ रही हो किंतु इस बार यह चेहरा कमाल करता हुआ नजर नहीं आ रहा है, साथ ही किसान आंदोलन, मणिपुर हिंसा, महंगाई, बेरोजगारी, विपक्षी दलों के नेताओ पर झूठे आरोप, महिलाओं पर अत्याचार, लद्दाख मामला, मराठा आरक्षण सहित भ्रष्ट नेताओं को भाजपा ज्वाइन करवाने के मामले ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि को इस चुनाव में बहुत बड़ा झटका देते हुए नजर आ रहा है वही दूसरी तरह अविश्वासियों का इंडिया गठबंधन है एकजुटता दिखाने की बहुत कोशिश की किंतु कुछ राज्यों में आपस में ही लड़ने से जनता में बहुत आक्रोश है, साथ प्रधानमंत्री पद का कोई चेहरा डिकलियर ना करना भी इंडिया गठबंधन को बहुत नुकसान दे रहा है। इसके अतिरिक्त गठबंधन के नेताओं का चुनाव से पहले भ्रष्टाचार के आरोप ने बंद होना भी गठबंधन को कही ना कही नुकसान पहुंचाएगा। इन सबके बावजूद इस बार के चुनाव परिणामों में जनता का आक्रोश स्पष्ट नजर आयेगा। जो अब तक पूरी तरह से खामोश रहा है।
✍️अभिषेक जैन बिट्टू
राजनीतिक विश्लेषक एवं सामाजिक कार्यकर्ता
जयपुर (राजस्थान)
