प्रतापगढ़। गुजरात और मेवाड़ में संदिग्ध चांदीपुरा वायरस से संक्रमित बच्चे मिले है। वागड आंचले की लगती सीमा के आस-पास कुछ बच्चो के संदिग्ध संक्रमित होने से मृत्यु हो चुकी है। इस संकट को देखते हुए चिकित्सा विभाग ने वागड की लगती सीमा वाले क्षेत्र में उदयपुर, बांसवाड़ा, प्रतापगढ़, मध्य प्रदेश, गुजरात वाले क्षेत्रों में चिकित्सा विभाग की टीम को अलर्ट मोड पर रखा गया है। सीएमएचओ डॉ जीवराज मीणा ने आमजन से अपील करते हुए कहा कि अगर आपके घर में या घर के आस-पास किसी बच्चे को तेज बुखार, उल्टी व ऐंठन जैसे लक्षण हो तो उसे तुरंत चिकित्सक से परामर्श कर उपचार उपलब्ध करवाए। घर के नुसखो मे कीमती समय बर्बाद नहीं करे।
चिकित्साकर्मी जिले में सक्रिय –
सीएमएचओ डॉ जीवराज ने बताया कि मानसून में चांदीपुरा वायरस जैसे लक्षणों को लेकर गुजरात सरकार से राजस्थान चिकित्सा विभाग जयपुर को भेजे गए पत्र के बाद चिकित्सा विभाग ने बीमारी पर अलर्ट जारी कर दिया है। इसके मद्देनजर टीम जिले में सक्रिय रूप से कार्य कर रही है। हालांकि यहां अभी इससे जुड़ा कोई मामला सामने नहीं आया है। जिले में स्वास्थ्य दल मलेरिया, डेंगू, डायरिया, बुखार के मामलों की जांच पहले से ही कर रही हैं। सीएमएचओ डॉ मीणा ने बताया कि वायरस को लेकर प्रतापगढ़ में इसकी एंट्री मिले की फिलहाल कोई सूचना नहीं है। हालांकि इससे बचाव के लिए जिले में भी उपाय किए जाएंगे। अभी तक एक भी केस नहीं आया है लेकिन आशा सहयोगिनी, एएनएम के माध्यम से जिले में सतत निगरानी रखी जा रही है। ऐसे में उन्हे एएनएम और डॉक्टर को तत्काल सूचना देने को कहा है। इधर जिले में बीमार होने पर लैब में ब्लड टेस्ट के लिए आने वाले लोगों से लिए गए ब्लड सैंपल की जांच में भी इस वायरस के संक्रमण संबंधी जांच पर ध्यान दिया जाएगा।
चांदीपुरा वायरस क्या है ?
चांदीपुरा वायरस एक आरएनए वायरस है। यह वायरस सबसे अधिक मादा फ्लेबोटोमाइन मक्खी से ही फैलता है। मच्छर में एडीज ही इसके पीछे ज्यादातर जिम्मेदार है। 15 साल से कम उम्र के बच्चे सबसे ज्यादा इसका शिकार होते हैं। उन्हीं में मृत्यु दर भी सबसे ज्यादा रहती है। इस संक्रमण का समय पर उपचार ही ईलाज है।
लक्षणः
मस्तिष्क में सूजन के बाद तेज बुखार, उल्टी, ऐंठन व मानसिक रोग होना भी संभव चांदीपुरा वायरस के संक्रमण से कोशिकाओं में फॉस्फेटेस और टेनसिन होमलोग (पीटीईएन) पदार्थ का सिक्रीशन कम हो जाता है। इससे मस्तिष्क में सूजन आ जाती है। तेज बुखार, उल्टी, ऐंठन और मानसिक बीमारियां आ जाती हैं। मरीजों में इंसेफेलाइटिस के लक्षण भी दिखने लगते हैं और मरीज कोमा में चला जाता है। कई बार तो मौत तक हो जाती है।
