Voice of Pratapgarh News ✍️रिपोर्टिंग रविंद्र आर्य
महाबोधि अंतर्राष्ट्रीय ध्यान केंद्र, लेह। मैं कल जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भयावह आतंकवादी हमले से गहरा स्तब्ध और व्यथित हूँ, जिसमें निर्दोष लोगों की जान चली गई और कई अन्य घायल हो गए। इस प्रकार की बर्बरता न केवल अत्यंत अमानवीय है, बल्कि यह हमारे समय की उस अंधकारमय सच्चाई की भी निर्मम याद दिलाती है जो अब भी मानवता को घेरे हुए है।
शोक और करुणा से भरे हृदय से, मैं शोक-संतप्त परिवारों के प्रति अपनी गहरी संवेदनाएँ प्रकट करता हूँ। जो प्राण इस क्रूरता में गए, वे उत्तम लोक में पुनर्जन्म लें – मेरी यही प्रार्थना है। मैं घायलों के शीघ्र और पूर्ण स्वस्थ होने की कामना करता हूँ, और इस दुःख की घड़ी में पीड़ितों के साथ हूँ।
आतंकवाद, चाहे किसी भी रूप में हो, मानवता के विरुद्ध एक अपराध है। यह न तो किसी धर्म को मानता है, न नैतिकता को, और न ही इसका कोई औचित्य है। जो लोग घृणा और हिंसा के मार्ग पर चलते हैं, वे स्वयं अपने विनाश की दिशा में अग्रसर हैं। वे दुःख तो पहुँचा सकते हैं, लेकिन वे कभी भी उस प्रेम, करुणा और एकता की नींव को नहीं हिला सकते जिस पर मानवता टिकी है।
अब समय आ गया है कि सभी नेता – राजनीतिक, आध्यात्मिक और सामाजिक – धर्म और राष्ट्रीयता से ऊपर उठकर एकजुट हों और गंभीरतापूर्वक विचार करें कि इस अमानवीय आतंकवाद का स्थायी और पूर्ण समाधान कैसे निकाला जाए। हमें आपसी भेदभाव से ऊपर उठकर साहस, बुद्धिमत्ता और दृढ़ निश्चय के साथ एक ऐसा संसार बनाना होगा जो घृणा और भय से मुक्त हो।
ऐसे क्षणों में हमें डर या नफरत को अपने बीच में दीवार नहीं बनने देना चाहिए। इसके बजाय, हमें समुदायों, धर्मों और राष्ट्रों की सीमाओं को पार करते हुए सहानुभूति से भरे हृदयों और एकजुट हाथों के साथ आगे आना होगा। हमारी असली ताकत प्रतिशोध में नहीं, बल्कि शांति को बनाए रखने, करुणा को पोषित करने और मानव जीवन की पवित्रता की रक्षा करने के हमारे सामूहिक संकल्प में निहित है।
सभी कोनों में शांति का वास हो, और बुद्धि व करुणा का प्रकाश समस्त अंधकार पर विजय प्राप्त करे।
हार्दिक प्रार्थनाओं सहित,
भिक्षु संघसेन
संस्थापक-अध्यक्ष, महाबोधि अंतर्राष्ट्रीय ध्यान केंद्र
