प्रतापगढ़। जिले में बाल दिवस की पूर्व संध्या पर दो नाबालिग बच्चों को बाल श्रम और बाल तस्करी से बचाया गया। यह कार्रवाई कोतवाली थाना पुलिस, गायत्री सेवा संस्थान और चाइल्डलाइन 1098 की संयुक्त टीम ने अभियान उमंग-06 के तहत की।
देर रात करीब 11 बजे सूचना मिली थी कि जालोर जिले के चाँदराही निवासी अर्जुनलाल रायका पुत्र मलाराम रायका दो नाबालिग बच्चों को मध्य प्रदेश के सीहोर जिले स्थित आष्टा > ले जा रहा है। बच्चों को वहां भेड़ चराने के लिए मजदूरी पर भेजने की योजना थी।
सूचना मिलते ही कोतवाली थाना से एएसआई रामावतार, कांस्टेबल गोविन्द, गायत्री सेवा संस्थान से जिला समन्वयक रामचन्द्र मेघवाल, काउंसलर अंतिम बाला टांक तथा चाइल्डलाइन 1098 से अर्जुन मीणा की संयुक्त टीम मौके पर पहुंची। टीम ने दोनों नाबालिग बच्चों को सुरक्षित रेस्क्यू किया।
पूछताछ में बच्चों ने बताया कि उन्हें धरियावद क्षेत्र के मुंडला और धोलिया गांव से ले जाया जा रहा था। एक बच्चे को ₹6000 का लालच दिया गया था, जबकि दूसरे को ₹7000 वार्षिक मजदूरी पर भेजने की बात कही गई थी।
रेस्क्यू किए गए दोनों बच्चों को बाल कल्याण समिति (CWC) प्रतापगढ़ के समक्ष प्रस्तुत किया गया। समिति ने उन्हें शेल्टर होम में सुरक्षित रखा है। इस मामले में नियोक्ता अर्जुनलाल रायका के विरुद्ध कोतवाली थाना प्रतापगढ़ में मुकदमा दर्ज किया गया है।
गायत्री सेवा संस्थान के जिला समन्वयक रामचन्द्र मेघवाल ने बताया कि उनकी टीम पुलिस और चाइल्डलाइन 1098 के सहयोग से बच्चों को शोषण से बचाने का प्रयास करती है। उन्होंने यह भी बताया कि 15 अगस्त 2025 को भी प्रतापगढ़ जिले में बंधुआ मजदूरी में लिप्त तीन नाबालिग बच्चों को छुड़ाया गया था और संबंधित व्यक्तियों पर कार्रवाई की गई थी।
यह घटना समाज में बाल अधिकारों के प्रति जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता को दर्शाती है। बाल श्रम एक अपराध है और प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है कि ऐसे मामलों की सूचना तुरंत प्रशासन या चाइल्डलाइन 1098 पर दे। बच्चों को पढ़ने की उम्र में स्कूल जाना चाहिए, मजदूरी नहीं करनी चाहिए।



