प्रतापगढ़,23 नवंबर। जिला कलेक्टर एवं मजिस्ट्रेट ने रविवार को आदेश जारी कर बताया कि प्रतापगढ़ जिले की सीमाओं के भीतर (नगरीय एवं ग्रामीण क्षेत्रों सहित) विभिन्न प्रकार के ध्वनि विस्तारक यंत्रों जिसमें लाउड स्पीकर, एम्पलीफायर आदि से या अन्य किसी प्रकार की यान्त्रिक क्रिया जिसमें लोक संबोधन प्रणाली, सचित्र या बिना चित्र के ध्वनि उत्पादित या पुर्न उत्पादित की जाकर या ऐसे यन्त्रों को अन्य किसी रीति से बज़ाने, पीटने, टकराने या अन्य प्रकार से कारित ध्वनियो जिसमे यान्त्रिक, औद्योगिक, निर्माण, मनोरंजन, वैवाहिक समारोह, ईश वन्दना, परिवहन के साधनों एवं उनमे प्रयुक्त होने वाले अत्यधिक दबाव वाले (प्रेशर हॉर्न) के प्रयोग से अत्यधिक शोरगुल उत्पन होता है। साथ ही वर्तमान समय में अध्ययनरत छात्रों के अर्द्धवार्षिक परीक्षाएं चल रही है तथा उक्त अनावश्यक शोरगुल से उनके अध्ययन में भी खलल पड़ता है, अतः उक्त ध्वनि प्रदूषण को नियंत्रित किया जाना आवश्यक है।
आदेशानुसार ध्वनि प्रदूषण (विनियमन एवं नियंत्रण) नियम 2000 के नियम 3(5) के रुप में कतिपय क्षेत्र शांत क्षेत्र के रुप में घोषित है एवं इन नियमों मे ध्वनि की अधिकतम अनुमत स्तर की सीमा निर्धारित की गई है।
सर्वोच्च न्यायालय ने रिट पिटीशन (सिविल) संख्या 72/1998 में दिनांक 28.07. 2005 एवं एसएलपी 2686/99 (जे.टी. 2000 (9) एससी 575 में पारित आदेश दिनांक 30.08.2000 से नगरीय एवं औद्योगिक क्षेत्रों में ध्वनि का स्तर नियन्त्रित मात्रा में रखने के निर्देश दिये गए हैं, जिनकी पालना में भी आम जनता को ध्वनि प्रदूषण से उत्पन होने वाली बाधा, असुविधा, क्षति या इनके जोखिम को निवारित करने के लिये ऐसा किया जाना आवश्यक एवं समीचीन है।
आदेशानुसार ध्वनि नियंत्रण अधिनियम 1963 की धारा 5 में प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुये उन्होंने आदेश दिया है कि सम्पूर्ण प्रतापगढ़ जिले (नगरीय एवं ग्रामीण क्षेत्रों सहित) के सार्वजनिक स्थानों जिसमे समस्त राजकीय एवं निजी डिस्पेसरी एवं चिकित्सालय, समस्त होटल, विश्रांती गृह, धर्मशाला, मुसाफीर खाने, समस्त शैक्षणिक संस्थाएं, विद्यालय, महाविद्यालय, समस्त छात्रावास, (निजी एवं राजकीय), नगर परिषद एवं निजी तोर पर निर्मित एवं संचालित सामुदायिक भवन, मेरीज गार्डन, हॉल, ऑडिटोरियम जो चाहे किसी भी नाम से जाने पहचाने जाते हो. समस्त सार्वजनिक मार्ग एवं चौराहो, समस्त राजकीय कार्यालयों के पास का क्षेत्र जिनमे प्रवेश की सुविधा चाहे अधिकार के रुप हो अथवा नही, के आस पास का वातावरण शांतिमय बनाये रखने के लिये ध्वनि विस्तारक यंत्रों एवं आतिशबाजी के प्रयोग को निषेध किया है। साथ ही आदेश दिया कि कोई व्यक्ति या उसका समुह या प्रतिनिधि किसी भी प्रयोजन अर्थात किसी भी धार्मिक, सामाजिक, वैवाहिक, व्यावसायिक प्रमोद हेतु किसी भी प्रकार के वाद्य यंत्रों (लाउड स्पीकर, एम्पलीफायर आदि) का उपयोग बिना अनुमति के नही करेगा।
(A) यदि कोई इनका उपयोग करना चाहे तो संबंधित उपखंड अधिकारी से अनुमति प्राप्त करना होगा।
B) संबंधित उपखण्ड मजिस्ट्रेट इनके उपयोग की अनुमति प्रत्येक मामले की परिस्थितियों एवं तथ्यों के गुणावगुण के आधार पर इनके उपयोग की अनुमति दे सकेंगे, परन्तु ऐसी कोई भी स्वीकृति रात्रि 10.00 बजे पश्चात से प्रातः 06.00 बजे के मध्य के लिये नहीं दी जा सकेगी।
(C) स्वीकृति उपरान्त भी ध्वनि प्रदूषण का स्तर ध्वनि प्रदूषण (विनियमन और नियंत्रण) नियम 2000 की अनुसूची में निर्धारित से अधिक नहीं हो सकेगी।
आदेशानुसार माल परिवहन या यात्री परिवहन के लिये प्रयोग में लाये जाने वाले भारी, मध्यम या हल्के वाहनो निजी या व्यावसायिक यात्रा में प्रयोग में लाने वाले बाहनी यथा कार, टेम्पो, बस आदि में नगरीय क्षेत्रों की सीमा में अत्यधिक दबाव याले प्रेशर हॉर्न का उपयोग नहीं कर सकेंगे। इसी प्रकार वैवाहिक या अन्य धार्मिक या अन्य प्रयोजनों के लिये बैण्ड-बाजा वादक ऐसे जुलुस में बैण्ड के साथ चलने वाले थैला गाड़ी में लाउड स्पीकर, एम्पलीफायर या अन्य ऐरो किसी भी यान्त्रिक उपकरण नहीं लगा सकेंगे न इनका उपयोग कर सकेंगे, जिनसे संगीत वाद्य यन्त्र या ध्वनि उत्पादित या पुन उत्पादित की जा सकती हो।
आदेशानुसार इन आदेशों की पालना कड़ाई से सुनिश्चित की जाये। इनका उल्लधन किये जाने पर सबंधित के विरुद्ध विधि सम्मत कार्यवाही की जाएगी।




