प्रतापगढ़। रबी सीज़न की चरम मांग के बीच जिले में यूरिया खाद की कमी गंभीर होती जा रही है। प्रतापगढ़, अरनोद, धरियावद, छोटीसादड़ी, सुहागपुरा, पीपलखूंट, दलोट और आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों को कई दिनों से सहकारी समितियों के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं, लेकिन खाद उपलब्ध नहीं हो पा रही है। स्थिति यह है कि हर दिन हजारों किसान खाद की उम्मीद में लाइन में खड़े दिखाई दे रहे हैं।
अरनोद और प्रतापगढ़ शहर सहित कई स्थानों पर सुबह होते ही लगभग 800 मीटर तक लंबी कतारें लग गईं। इन कतारों में बड़ी संख्या में महिला किसान भी शामिल रहीं, जो धूप में घंटों खड़ी रहीं। कई किसानों ने बताया कि खाद की गाड़ी देर रात आने की सूचना मिलते ही वे आधी रात को ही समितियों के बाहर पहुंच गए, ताकि सुबह जल्दी नंबर मिल सके। एक आधार कार्ड पर केवल दो बैग यूरिया मिलने और प्रति बैग 270 रुपये मूल्य तय होने के बावजूद किसानों को खाद मिलना सुनिश्चित नहीं हो रहा।
किसानों का कहना है कि खाद न मिलने से खेतों की पहली सिंचाई और टॉप ड्रेसिंग में देरी हो रही है। चना, गेहूं, लहसुन, प्याज और मेथी जैसी रबी फसलों की समय पर उर्वरक उपलब्धता आवश्यक है, लेकिन सप्ताहभर से लंबी लाइनों में लगने के बावजूद खाद नहीं मिलने से बुवाई कार्य बाधित हो रहा है। किसानों ने बताया कि दिनभर लाइन में रहने से खेतों का काम रुक जाता है, मजदूरी का नुकसान होता है और कई बार धूप में बिना खाए-पिए खड़े रहना पड़ता है।
जिले के कई वितरण केंद्रों पर अव्यवस्था और बहस की स्थिति भी देखने को मिली। बढ़ती मांग और सीमित आपूर्ति के कारण हालात दिन-ब-दिन बिगड़ते जा रहे हैं। किसानों ने प्रशासन से मांग की है कि जल्द से जल्द पर्याप्त मात्रा में यूरिया उपलब्ध कराया जाए, ज्यादा दबाव वाले क्षेत्रों में अस्थायी वितरण केंद्र खोले जाएं और वितरण व्यवस्था को दुरुस्त किया जाए। किसानों का कहना है कि यदि जल्द समाधान नहीं मिला, तो रबी फसलों की उत्पादकता पर गंभीर असर पड़ेगा, जिसका नुकसान पूरे जिले को झेलना पड़ेगा।



