Voice of Pratapgarh News ✍️ संवाददाता पंडित मुकेश कुमार
चित्तौड़गढ़। सारथी रथ आगे बढ़ाओं रूक क्यों गये? तुम्हारे हाथ क्यों काँप रहे है? तुम रथ राजकुमार पर चढ़ाते क्यों नहीं? तुमसे नहीं चढ़़़ता तो लो मैं स्वयं चढ़ा लेती हूँ नहीं नहीं रानी माँ राजकुमार को माफ कर दो सारथी एवं उपस्थित प्रजा काफी अनुनय विनती करते हैं रानी माँ कहती है नहीं राजा हो या रंक गलती चाहे आम नागरिक करे या राजपरिवार का सदस्य चाहे वह मेरा बेटा ही क्यों ना हो न्याय व्यवस्था सभी के लिए समान है।
यह दृश्य था चित्तौड़गढ़ के इन्दिरा प्रियदर्शिनी ऑडिटोरियम में रविवार को मंचित नाट्य-नाटिका पुण्यश्लोक अहिल्याबाई का इसका आयोजन जिला प्रशासन चित्तौड़गढ़ एवं मीरा स्मृति संस्थान चित्तौड़गढ़ के संयुक्त तत्वावधान में अहिल्याबाई के 300वें जन्म वर्ष के उपलक्ष्य में किया गया था।
कार्यक्रम का आरंभ मुख्य अतिथि सांसद सी.पी. जोशी, चित्तौड़गढ़ विधायक श्रीमान् चन्द्रभान सिंह आक्या, भाजपा जिलाध्यक्ष रतन लाल गाडरी, नगर अध्यक्ष सागर सोनी, रघु शर्मा, हर्षवर्धन सिंह रूद, श्रवण सिंह राव, जिला कलेक्टर चित्तौड़गढ़ आलोक रंजन, एडीएम बीनु देवल, एडीएम रामचन्द्र खटीक, मीरा स्मृति संस्थान अध्यक्ष सत्यनारायण समदानी, उपाध्यक्ष डॉ. ए.एल जैन, अनिल सिसोदिया, सचिव अर्जुन मुन्दड़़ा, कोषाध्यक्ष विनायक द्विवेदी, सहसचिव सुनिल ढीलीवाल, गोविन्द गदिया, कर्नल रणधीर सिंह, जेपी भटनागर, राकेश मंत्री, प्रदीप दीक्षित एवं संस्थान के समस्त पदाधिकारियों द्वारा दीप प्रज्वलित कर किया गया।
सांसद सी.पी. जोशी ने अपने उद्बोधन में महान शिव भक्त मालवा की महारानी अहिल्याबाई होल्कर के जीवन से प्रेरणा लेने की बात कहते हुए कहा कि उन्होंने अपने शासन काल में ऐसे कई कार्य किए है कि वह पुण्यश्लोक कहलाई उनके किए गए कार्य आज भी जन-जन की प्रेरणा है चाहे सामाजिक कार्य हो या धार्मिक अथवा न्यायिक सभी में उन्होंने उदाहरण प्रस्तुत किए है। चन्द्रभान सिंह आक्या, जिला कलक्टर चित्तौड़गढ़ आलोक रंजन, तथा संस्थान अध्यक्ष श्रीमान् सत्यनारायण समदानी ने भी अपने उद्बोधन में महारानी अहिल्याबाई के कार्यों को याद करते हुए उनके जीवन से प्ररेणा लेने की बात कही।
नाट्य-नाटिका में सभी कलाकारों ने अपने सुन्दर अभिनय प्रदर्शन से महारानी अहिल्याबाई के जीवन-चरित्र के प्रत्येक पहलू को साकार रूप में मंच में प्रदर्शित कर दिया जिसे उपस्थित जनसमुदाय द्वारा काफी सराहा गया। इस नाट्य-नाटिका में मुख्य रूप से यह दर्शाया गया कि किस प्रकार एक स्त्री चाहे तो परिवार के साथ समाज को भी दिशा दे सकती है। व्यक्ति तभी महत्वपूर्ण बनता है जब उसके कार्य जनानुरूप हो इसीलिए अहिल्याबाई पुण्यश्लोक कहलाई। पंत ड्रामा फोरम एण्ड ड्रामा ड्राफ्टिंग, सहज कलात्मक फाउण्डेशन मुम्बई द्वारा तैयार की गई इस नाट्य-नाटिका के निर्देशक एन.के. पंत तथा क्रियेटिव निर्देशक अरूण शेखर मुम्बई थे।
चित्तौड़गढ़ के इन्दिरा प्रियदर्शिनी ऑडिटोरियम के मंच पर सजीव रूप में प्रस्तुत यह नाट्य-नाटिका दर्शको के दिलों पर अपनी एक अलग छाप छोड़ गयी। नाट्य-नाटिका के मंचन के शुभ अवसर पर चित्तौड़गढ़ शहर के आमजन समुदाय के साथ शहर की कई संस्थाओं के पदाधिकारी एवं गणमान्य नागरिक जनप्रतिनिधि, शिक्षण संस्थाओं के छात्र-छात्राएँ जिनमें मुख्य रूप से मेवाड़ विश्वविद्यालय के कुलपति आलोक मिश्रा, विभागाध्यक्ष चित्रलेखा सिंह, मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी प्रमोद दशोरा, सैनिक स्कुल चित्तौड़गढ़, मेवाड़ गर्ल्स कॉलेज, भारत स्काउट गाइड्स, सांवलिया बहुउद्देशीय विकलांग विद्यालय आदित्य सीमेंट वर्क्स से श्री दीपक भट्ट, भोईखेड़ा से बालकृष्ण भोई एवं समाजजन, पेंशनर समाज, जन चेतना मंच वरिष्ठ नागरिक मंच संघ परिवार, विश्व हिन्दु परिषद, व्यापार महासंघ छन्यात ब्राह्मण समाज के अध्यक्ष योगेश सारस्वत, मेवाड़ चेम्बर्स सहित जैन एवं माहेश्वरी समाज के कई पदाधिकारी, मीरा गर्ल्स कॉलेज उदयपुर से सुनील खटीक, एडवोकेट ओम शर्मा, अरूण समदानी, लोकेश त्रिपाठी, प्रदीप काबरा, डॉ. बलवन्त सिंह सिसोदिया, नारायण सिंह राव, भरत जागेटिया, भारत स्काउट गाइड्स के सीईओ चन्द्रशेखर श्रीवास्तव सचिव पंकज दशोरा सहित चित्तौड़गढ़ के गणमान्य नागरिक उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन डॉ. डी.पी चतुर्वेदी द्वारा किया गया।
